80 WPM 800 Words Hindi Shorthand Dictation #57,58 Ramdhari Gupta Vol 1

80 WPM 800 Words Hindi Shorthand Dictation

80 WPM 800 words Hindi Shorthand Dictation No. 57&58 from Ramdhari Gupta Volume – 1 for SSC Stenographer Grade C & D Exam, High Court Steno/PA Exam Skill test. 10 Minute Hindi Steno Dictation

उपाध्यक्ष महोदय, मैं राष्ट्रपति महोदय के भाषण पर जो धन्यवाद प्रस्ताव है, उसका समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूं। मुझे इस बात की खुशी है कि हमारी सरकार ने समाजवाद का केवल नारा ही नहीं लगाया है बल्कि समाजवाद को मूर्त रूप देने के लिए कदम भी उठाने प्रारम्भ कर दिए हैं।

उपाध्यक्ष महोदय, मैं राष्ट्रपति महोदय के भाषण पर जो धन्यवाद प्रस्ताव है, उसका समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूं। मुझे इस बात की खुशी है कि हमारी सरकार ने समाजवाद का केवल नारा ही नहीं लगाया है बल्कि समाजवाद को मूर्त रूप देने के लिए कदम भी उठाने प्रारम्भ कर दिए हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि गरीबी हटाओ, गरीबी मिटाओ, यह केवल आंदोलन ही नहीं राह बल्कि इसको कार्य रूप में परिणत करना भी आरंभ कर दिया गया है। इसके लिए मैं अपने प्रधानमंत्री को जितना भी धन्यवाद दूं, वह थोड़ा ही है। मुझे आपसे यह भी कहने का साहस हो रहा है कि सरकार ने  इस समय हमारे पहाड़ी क्षेत्रों को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया है। आज तक तो वे बिल्कुल पिछड़े हुए थे। मैं आपसे यह कहने का साहस भी कर रहा हूं कि पहाड़ी और सीमा के क्षेत्रों को राज्य का अधिकार तो दे ही दिया गया है, उनको यह अवसर भी दिया गया है कि व अपने पिछड़े हुए इलाके को उन्नत बनाने के लिए स्वयं प्रयत्न करें और अपने पैरों पर खड़े हों। लेकिन मुझे बड़े दुख के साथ आपके सामने यह कहना पड़ रहा है कि हमारे उत्तर प्रदेश के जो पहाड़ी जिले हैं, वे आज भी बहुत ज्यादा पिछड़े हुए हैं और उनको कोई देखने वाला नहीं है। मैं सरकार का ध्यान इस बात की ओर दिलाना चाहता हूं कि कुछ दशक पहले इसी दिल्ली में पहाड़ी इलाकों के सैकड़ों भूमिहीन किसानों का एक बहुत बड़ा जुलूस निकला था और उन्हें हमारे राष्ट्रपति ने आश्वासन दिया था कि उनकी भूमि समस्या हल करने के लिए वे उत्तर प्रदेश की सरकार को लिख रहे हैं। लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कई वर्ष बीत गए हैं, किंतु एक चप्पा भूमि भी किसी भूमिहीन को आज तक नहीं दी गई है। हमारे भूमिहीन किसान कभी जेल में सड़ते हैं और कभी कहीं मारे फिरते हैं, लेकिन भूमि उन्हें नहीं मिली।

इसी प्रकार मैं आपको यह भी बता देना चाहता हूंक एक बार हमारे मुख्यमंत्री जी ने भी लिखा था कि हमारे उत्तर प्रदेश के जो पहाड़ी जिले हैं, वे पूरी तरह से पिछड़े हुए हैं। इसके अलावा एक बार हमारे प्रधानमंत्री जब यहां दौरे पर आए थे, तब उन्होंने एक सार्वजनिक सभा में भाषण दिया था।

उपाध्यक्ष महोदय, अपने भाषण में उन्होंने कहा कि मैंने आज तक ऐसी गरीबी के दर्शन नहीं किए जैसा कि मैं देख रहा हूं। ऐसी गरीबी, जब हम स्वतंत्र नहीं थे, तब अवश्य देखने को मिलती थी, लेकिन स्वतंत्रता के पश्चात् मैं पहली बार ऐसी गरीबी देश के किसी भाग में देख रहा हूं। देश के विकास के काम को बढ़ाकर ही ऐसी गरीबी हम हटा सकते हैं। सरकारी उद्योगों की स्थिति अजीब है। हर संभव कोशिश से और सद्भाव बनाकर सरकारी उद्योगों के कर्मचारियों को आप अच्छा वेतन देते हैं और उन्हें रहने का अच्छा स्थान देते हैं। फिर भी घाटा होता है और देश का नुकसान होता है। कारण क्या है? कारण यह है कि आपकी औद्योगिक नीति गलत है और जो रुपया आपके पास है, उसको भी आवश्यक काम के लिए खर्च नहीं कर रहे हैं। एक तरफ बोकारो के लिए छः सौ करोड़ रुपया आप रख रहे हैं और दूसरी तरफ राजस्थान नहर को पूरा करने के लिए आप कहते हैं कि हमारे पास पैसा नहीं है। एक ओर महाराष्ट्र के अंदर आप नयी चीनी मिलें खोल रहे हैं और दूसरी ओर उत्तर प्रदेश और बिहार के अंदर कारखाने बंद हो रहे हैं या जो उनकी क्षमता है, उस पर पूरे तौर पर काम नहीं कर रहे हैं। यह कोई औद्योगिक नीति नहीं है।

इसलिए यह कहना ठीक नहीं है कि हमारी औद्योगिक नीति सफल हुई है। मंत्री महोदय कहते हैं कि वे सिंचाई के ले एक सिंचाई आयोग बनायेंगे। अच्छी बात है। मगर सिंचाई की क्या हालत है हमारे देश के अंदर, यह भी तो देखिए। जिस समय हमारे देश में कोसी बांध का काम शुरू हुआ  था, उस समय पाकिस्तान ने एक बांध पूरा कर लिया था। वहां उससे सिंचाई हो रही है और हमारे यहां इसका काम आधा भी नहीं हुआ है। राजस्थान नहर को शुरू हुए कितने वर्ष हो गए हैं परंतु अभी भी वह बनी नहीं। हमारे यहां कोई ठीक तौर-तरीका नहीं है। मंत्रियों और सांसदों के मकानों के लिए करोड़ों रुपये निकल सकते हैं, मगर देश के उद्योग के लिए , देश के किसाने और मजदूर के लिए जो रुपया चाहिए, वह नहीं मिल सकता। उसके लिए रुपया नहीं दे सकते हैं। यह कोई औद्योगिक नीति नहीं है। मैं कल सदन को बतला रहा था कि कुछ सड़के विश्व बैंक की सहायता से बनने वाली थीं लेकिन उन पर काम आज तक शुरू नहीं हो सका है। काम शुरू होना तो दूर की बात है, सड़कें कहां और कितनी बनने वाली हैं, इस पर भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा सका है।

कठिन शब्द
  • राष्ट्रपति महोदय
  • मूर्त रूप
  • परिणत
  • पहाड़ी क्षेत्र
  • भूमिहीन
  • चप्पा
  • सड़ते
  • सार्वजनिक
  • सद्भाव
  • महाराष्ट्र
  • उत्तर प्रदेश
  • बिहार
  • बांध
  • विश्व बैंक
वाक्यांश
  • समर्थन करने के लिए
  • प्रारम्भ कर दिए हैं
  • सबसे बड़ी बात तो यह है कि
  • गरीबी हटाओ, गरीबी मिटाओ
  • दे दिया है
  • दिया गया है
  • प्रयत्न करें
  • हल करने के लिए
  • आश्वासन दिया था
  • भूमि समस्या
  • जैसा कि मैं देख रहा हूं
  • औद्योगिक नीति

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