90 wpm Hindi steno dictation #43&44 800 words for SSC Steno, High Court

100 wpm hindi steno dictation

90 WPM Hindi shorthand Dictation with transcription from Ramdhari Gupta book 800 words 10 minutes for SSC Stenographer Grade D skill test, High court test

माननीय सभापति महोदय, मैं आपका बहुत आभारी हूं  जो आपने मुझे इस बिल पर बोलने के लिए समय दिया है। यह जो बिल सहकारिता समिति को एक समिति में भेजने का निश्चय किया गया है, जिस पर कल से बहस हो रही है, उस पर मैं आपके आदेश से कुछ कहना चाहता हूं। श्रीमान्, इस बिल को देखा जाए तो यह समझ में आता है कि यह कोई नया बिल नहीं है बल्कि जो सन् 1912 का कानून है, उसी की लाइन पर बनाया गया है और कोई नई बात नहीं रखी गई है।

माननीय सभापति महोदय, मैं आपका बहुत आभारी हूं  जो आपने मुझे इस बिल पर बोलने के लिए समय दिया है। यह जो बिल सहकारिता समिति को एक समिति में भेजने का निश्चय किया गया है, जिस पर कल से बहस हो रही है, उस पर मैं आपके आदेश से कुछ कहना चाहता हूं। श्रीमान्, इस बिल को देखा जाए तो यह समझ में आता है कि यह कोई नया बिल नहीं है बल्कि जो सन् 1912 का कानून है, उसी की लाइन पर बनाया गया है और कोई नई बात नहीं रखी गई है।

श्रीमान्, इसमें सहकारी खेती की बात रखी गई है। अगर यह कहा जाए कि यह कोई ऩई बात नहीं है तो गलत नहीं होगा। जहां तक सहकारी खेती का सम्बन्ध है तो उसकी तरफ जनता और विशेषकर किसानों का बिल्कुल कोई झुकाव नहीं है और उनका झुकाव न होने के कारण उन्होंने उस सीमा तक नहीं अपनाया जितनी सरकार को आशा थी। श्रीमान्, आपको मालूम है कि नागपुर कांग्रेस में यह प्रस्ताव पास हुआ है कि सहकारी खेती कराई जाए। पूरे देश में इस समय इसका जोर चल रहा है और इसको लाने के लिए न मालूम इसके कितने रूप रखे गए हैं। यह कहा गया है कि इसके अंदर कोई जोर नहीं है। अभी ए कमाननीय सदस्य कह रहे थे कि राजनैतिक पार्टी के लोग यहां पर सहकारिता के संबंध में कुछ और कहते हैं और बाहर किसानों से कुछ और ही कहते हैं। वे किसी से यह भी कहते हैं कि तुम्हारी जमीन छिन जाएगी । मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि यह जो कहा गया है और किसानों के अंदर जो भावना पैदा होती है वह इस बिल से स्पष्ट होती है कि वह गलत भावना नहीं है। मैं यह जानता हूं कि जब किसान पार्टी का जोर बढ़ा और किसानों की आवाज ऊंची हुई तो सरकार ने और हमारे नेताओं ने यह कहना शुरू कर दिया कि हम सहकारी खेती को किसानों के ऊपर लादना नहीं चाहते। बल्कि यह तो किसानों की इच्छा पर  है। लेकिन इसके साथ ही साथ, एक बात मैं पहले भी निवेदन कर चुका हूं और फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि नेताओं का अपना विचार होना चाहिए। किसी सभा में जब यह कहा गया है कि यह जो सहकारी खेती शुरू हुई है  यह तो अंत में सामूहिक खेती की तरफ ले जाएगी।

माननीय सभापति महोदय, उन्होंने साफ कह दिया कि अगर सामूहिक खेती होती है तो इसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं है। मैं यह कहना चाहता हूं कि इस बिल को देखने से यह साफ स्पष्ट होता है कि उस सहकारी समिति के जितने सदस्य होंगे वह अपनी-अपनी जमीन को एक साथ कर लेंगे और अगर समिति से निकालना चाहेंगे तो एक साथ अधिक जमीन उसको नहीं मिल सकती है। इस बिल के संबंध में इस सदन के सरकारी दल वाले लोगों ने और विरोधी दल के लोगों ने बहुत-सी बातें कही हैं। जैसा कि यह बिल है, इसको अभी समिति के सामने विचार के लिए जाना है और वहां से विचार होने के बाद यह इस सदने के सामने फिर से विचार के लिए पेश किया जाएगा। तब माननीय सदस्यों को पूरी तरह से यह अधिकार होगा कि जहां तक इसमें दी गई बातों का संबंध है, उसमें परिवर्तन ला सकते हैं या उसको हटा सकते हैं। कल से जो बातें हो रही हैं, वह सब नोट की गई हैं और मैंने बहुत सी बातों को सुना है। इस समिति में उन सब बातों पर विचार किया जाएगा। बहुत से माननीय सदस्यों ने इस तरह की बातें कही हैं वह बहुत आवश्यक मालूम हुई हैं और जैसा कि मैंने कहा है, उन पर विचार किया जाएगा।

जहां तक सहकारिता का संबंध है, चाहे सरकारी दल वाले माननीय सदस्य हों, चाहें विरोधी दल वाले माननीय सदस्य हों, सबकी यह मांग है कि जब हम जनता के राज में विश्वास करते हैं और अपने यहां जनता का राज स्थापित किया है और जबकि देश में गरीबी है और उसका गलत लाभ भी उठाया जाता है, तब सहकारिता की बहुत आवश्यकता है। इसको रोकने की आवश्यकता है, यह सभी लोगों की राय है। जहां तक इस सहकारी बिल का संबंध है, बहुत-से माननीय सदस्यों ने बहुत सी बातें इसके संबंध में कही हैं। मैं सब बातों का विवरण में तो उत्तर नहीं दे सकता हूं लेकिन में थोड़े में विशेष बातों का उत्तर देने का प्रयत्न करूंगा। जैसा मैंने अभी कहा, जब हम ने अपने यहां जनता का राज स्थापित किया है तो हमें अपने समाज के ढाँचे को बदलना पड़ेगा। हमारे यहां गरीबी और अमीरी चली आती है, हमारे देश में एक गहरी खाई चली आती है और आज भी समाज में गलत लाभ उठाया जाता है।

कठिन शब्द
  • माननीय सभापति महोदय
  • सहकारिता समिति
  • सहकारी खेती
  • विशेषकर
  • नागपुर
  • झुकाव
  • राजनैतिक पार्टी
  • भावना
  • किसान पार्टी
  • सामूहिक खेती
  • सरकारी दल
  • विरोधी दल
  • सहकारी बिल

वाक्यांश
  • पाई जाती हैं
  • आप जानते ही है